रचनात्मक चिंतन सफलता का प्रथम सोपान है। Creative thinking is the first step to success | Essay for BPSC mains

Creative thinking is the first step to success

रचनात्मक चिंतन सफलता का प्रथम सोपान है। ” किसी की चार दिन की जिंदगी सौ काम करती है। किसी की सौ बरस की जिंदगी में कुछ नहीं ही पाता ॥ “ उपर्युक्त पक्तियाँ पढ़कर मन मे यह सवाल आता है कि वह क्या है जो दो लोगों के जीवन में इतना बड़ा अंतर ला देती … Read more

कृत्रिम बुद्धि : भविष्य का द्वार या संकटों का आमंत्रण | Artificial intelligence: a door to the future or an invitation to trouble | Essay for BPSC mains

Artificial intelligence: a door to the future or an invitation to trouble

कृत्रिम बुद्धि : भविष्य का द्वार या संकटों का आमंत्रण कल्पना किजिए कि आप के सुबह से शाम तक के सारे कार्य तकनीक द्वारा इतने सरल हो जाए यथा सुबह उठने के साथ ही आपको स्मार्ट स्क्रीन पर आज के मौसम व कार्यों की जानकारी मिलें । स्नानागार मे लगे पानी का ताप आपके पसंद … Read more

परमार्थ में ही मानव जीवन की सार्थकता है। The meaning of human life lies in doing good | Essay for BPSC mains

The meaning of human life lies in doing good

परमार्थ में ही मानव जीवन की सार्थकता है। वृच्छा कबहुँ न फल भखै; नदी न सधैं नीर | परमारथ के कारने, साधुन धरै सरीर ॥ उपर्युक्त पंक्तियाँ सच्चे मानव (साधु) के जीवन के उद्देश्य को दर्शाती है। जिस तरह वृक्ष अपने फल कभी नहीं चखते, नदी अपना पानी स्वयं नही पी सकती उसी तरह मानव … Read more

समावेशी विकास : चुनौति व समाधान | Inclusive development: challenges and solutions | Essay for BPSC mains

Inclusive development: challenges and solutions

समावेशी विकास : चुनौति व समाधान “सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग भवेत।” वैदिक काल से चली आ रही उपर्युक्त पंक्तियां सभी के कल्याण या यूँ कहें समावेशी विकास के अमूर्त रूप को ही दर्शाती है। शाब्दिक अर्थ की बात करें तो समावेशी विकास का अर्थ है सभी … Read more

विज्ञान व धर्म – परस्पर विरोध या पूरकता | Science and religion – conflict or complementarity | Essay for BPSC mains

Science and religion - conflict or complementarity

विज्ञान व धर्म – परस्पर विरोध या पूरकता ‘विज्ञान व धर्म’ यह दो शब्द सुनते ही इनके बीच संबंधों को लेकर विभिन्न मतों / बहसों का विचार आता है। जहाँ कुछ लोग इन्हें एक दूसरे का विरोधी मानते हैं तो कुछ इन्हें एक दूसरे का पूरक । परंतु किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले … Read more

भारतीय संस्कृति आज : एक मिथक या एक वास्तविकता | Indian culture today: a myth or a reality | Essay for BPSC mains

Indian culture today: a myth or a reality

” भारतीय संस्कृति आज : एक मिथक या एक वास्तविकता’ विश्व को ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ व ‘सर्वे भवन्तु सुखिन’ जैसे पाठ पढ़ाने वाली तथा अध्यात्मिकता, शांति संबंधी मूल्यों को विकसित करने वाली भारतीय संस्कृति को अतीत में विश्वगुरु जैसे खिताब प्राप्त थे। तो मन में विचार उठता है कि क्या आज भी भारतीय संस्कृति अपने आदर्शों … Read more

समस्याग्रस्त विश्व के लिए गांधीवादी विचारधारा की प्रांसगिकता | Relevance of Gandhian ideology for a troubled world | Essay for BPSC mains

Relevance of Gandhian ideology for a troubled world

 “समस्याग्रस्त विश्व के लिए गांधीवादी विचारधारा की प्रांसगिकता “ लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई करने के बाद एक युवा जब अपन विदेश से भारत लौटता है तो यहाँ व्याप्त गरीबी, शोषण, भुखभरी को देख कर, वह अपने पारिवारिक हित व नीजि हित त्यागकर, एक लाठीव धोती पहनकर अपनी सारी उम्र समाजसेवा को अर्पण कर देता … Read more

नैतिकताविहीन धर्म आत्मारहित शरीर के समान है | Religion without morality is like a body without soul | Essay for BPSC mains

Religion without morality is like a body without soul

“नैतिकताविहीन धर्म आत्मारहित शरीर के समान है।’ हम बचपन से ही इन संदेशों, गीतों को सुनते आए हैं कि “मजहब नही सीखाता इन्सानों को आपस में बैर करना “ मगर वर्तमान मे हो रहे दंगों, साम्प्रादायिक घटनाओं (गोधरा, मेरठ, कश्मीर, असम दंगो), आतंकवादी हमलो (अमेरिका टिवन् टावर हमला, न्यूजीलैण्ड) हमला, मुंबई हमला), आदि को देखकर … Read more

यदि हमें भविष्य के विनाश से बचना है तो विकास की दिशा को बदलना होगा | If we want to avoid future destruction, we must change the direction of development | Essay for BPSC mains

If we want to avoid future destruction, we must change the direction of development

यदि हमें भविष्य के विनाश से बचना है तो विकास की दिशा को बदलना होगा जब आखिरी नदी का पानी भी जहरीला हो जाएगा, जब आखिरी पेड़ भी काट दिया जाएगा, जब आखिरी मछली भी खत्म हो जाएगी तब इन्सान को एहसास होगा कि वह पैसे नही खा सकता । वर्तमान विकास के असंधारणीय तरीके … Read more

जहाज बंदरगाह के भीतर सुरक्षित होता है, परंतु इसके लिए तो वह होता नहीं है। A ship in harbor is safe, but that is not what ships are built for | Essay for BPSC mains

A ship in harbor is safe, but that is not what ships are built for

जहाज बंदरगाह के भीतर सुरक्षित होता है, परंतु इसके लिए तो वह होता नहीं है।  बात महाभारत की है, कौरवों की सेना ने द्रोणाचार्य के नेतृत्व में चक्रव्यूह का निर्माण किया। वीर अभिमन्यू उसमें प्रवेश करना तो जानता था लेकिन बाहर निकलना नही जानता था । वह चाहता तो अपने परिजनों का इंतजार कर चक्रव्यूह … Read more