कृत्रिम बुद्धि : भविष्य का द्वार या संकटों का आमंत्रण
कल्पना किजिए कि आप के सुबह से शाम तक के सारे कार्य तकनीक द्वारा इतने सरल हो जाए यथा सुबह उठने के साथ ही आपको स्मार्ट स्क्रीन पर आज के मौसम व कार्यों की जानकारी मिलें । स्नानागार मे लगे पानी का ताप आपके पसंद के अनुसार हो, घर से निकलते ही घर की सभी मशीन की अपडेट आपके पास रहे व ड्राइवर लैस कार स्वयं आपको अपनी मंजिल तक पहुंचा दें। आज से कुछ दशक तक पहले कल्पना लगने वाली यह बातें कृत्रिम बुद्धिमता की वजह आज हकीकत का रूप ले चुकी है।
परंतु एक कल्पना इसके विपरीत भी करके देखते हैं। कैसा हो अगर आपकी दिनचर्या पर आपका नियंत्रण न हो आपके सभी निर्णय मशीने ही लेने लगे, न आपकी निजता बचें न ही स्वतंत्रता और कैसा हो जब बालीवुड फिल्म (रोबोट) व हॉलीवुड फिल्म – टर्मिनेटर की भाँति आपके ही विरोध में आकर खड़ी ही जाए। बेशक यह किसी डरावने सपने से कम नहीं है परंतु कृत्रिम बुद्धिमता का एक यह रूप भी हो सकता है।
उपर्युक्त दोनों परिदृश्य ‘कृत्रिम बुद्धिमता’ के संदर्भ में उचित अनुमान प्रदान करते है। इस निबंध मे इन्हीं परिप्रेक्ष्यों पर विचार करेंगे। हम कि कैसे कृत्रिम बुद्धिमता क्या है? कैसे कृत्रिम बुद्धिमता (AI) भविष्य के द्वारा के रूप में कार्य कर सकती है तथा कैसे उचित नियंत्रण व निर्देशन के अभाव यह एक रुप से बहुत से संकटों को आमंत्रण भी दे सकती है। क्या तरीका अपनाया जाए कि इस दोधारी तकनीक का सही दिशा में प्रयोग लाया जा सके।
मार्केटिंग तक), सुरक्षा ( साइबर, सीमा सुरक्षा) हो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (सौरमण्डल व ब्राह्मण्ड का ज्ञान ], शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र हो यहाँ कृत्रिम बुद्धिमता द्वारा नए आयामों को न खौला जा सके। यह इन क्षेत्रो मे व्याप्त जा चुनौतियों के समाधान की उचित क्षमता रखता है।
इसी तरह दैनिक जीवन में हर कार्य को आसान बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसी तरह भविष्य वही देश वैश्विक वातावरण को प्रभावित करेगा जिसने कृत्रिम बुद्धिमता के क्षेत्र में महारथ हासिल की हो । भारत को भी वैश्विक महाशक्ति बनने के संदर्भ में AI के संदर्भ मे अभी से उचित प्रयास शुरू कर देने चाहिए।
इस तरह कृत्रिम बुद्धिमता भविष्य हेतु उस स्वर्णिम द्वारा का कार्य करेगी जो मानव पीढ़ी के लिए हर समास्या का समाधान प्रदान करें।
परंतु किसी तकनीक / वस्तु के दो पहलू होते है जहाँ यह एक तरफ भविष्य के स्वर्णिम द्वारा को खोल सकती है वहीं यह नए संकटो को आमंत्रण भी दे सकती है।
उदाहरण कृत्रिम बुद्धिमता द्वारा कार्य करने पर होने वाली दुर्घटना / क्षति के संबंध में जवाबदेही किसकी हो । यथा चिकित्सा के समय लापरवाही हो या ड्राइवरलेस कार द्वारा एक्सीडेंट होने पर, रोबोट द्वारा किसी कारणवश की गई गलती हो, इन संदर्भों में उत्तरदायित्व का निर्धारण करना कठिन होगा तथा यह नए संकट पैदा करेगा।
इसके अतिरिक्त कृत्रिम बुद्धिमता द्वारा बेरोजगारी की समस्या को भी बढ़ावा मिल सकता है इस संदर्भ में विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था पर भी विपरीत प्रभाव पड़ सकता है | WEF की एक रिपोर्ट के अनुसार 2025 तक 501 मशीनों / रोबोटस का कब्जा होगा। अतः इस संदर्भ में कौशल विकास पर विशेष कार्य किए जाने की आवश्यकता है।
कृत्रिम बुद्धिमता से तात्पर्य कम्प्यूटर के द्वारा मानव मस्तिष्क के समान ही सोचने की क्षमता से है। इसमें कम्प्यूटर विभिन्न परिस्थितियों मानव मस्तिष्क के अनुरूप कार्य करता है। मानव कैसे सोचते है, कैसे निर्णय लेते है यह उन्ही का अनुकरण कर कार्य करते है । चैटजीपीटी, अलेक्सा, गूगल अस्टिटेट आदि AI के ही उदाहरण है। Defamil हमने कृत्रिम बुद्धिमता को समझ लिया अब हम यह जानेंगे कि कैसे यह भविष्य का द्वार साबित हो सकता है।
कृत्रिम बुद्धिमता द्वारा वर्तमान के लगभग हर क्षेत्र की समस्याओं के समाधान हेतु प्रयोग में लाया जा सकता है। साथ ही भविष्य की तकनीक भी इसी पर आधारित होगी । औद्योगिक क्रांति 4.0 हेतु भी कृत्रिम बुद्धिमता महत्वपूर्ण है।
वर्तमान में चिकित्सा क्षेत्र में जीन एडिटिंग, जीनोम सिक्वेसिग, डाटा संग्रहण इत्यादि तकनीक में भी AI वह सटीकता ला सकता तथा उस सूक्ष्म व वृहद स्तर की भी गणना कर सकता है जिसे मनुष्य द्वारा किया जाना अति कठिन है। इस तरह कृत्रिम बुद्धिमता न केवल रोग निवारण अपितु नए चिकित्सकीय शोध में भी अहम भूमिका निभा सकता है।
इसी तरह स्वास्थ्य का क्षेत्र हो या शिक्षा का ( स्मार्ट लर्निंग, ऑनलाइन साल्युशन, नए रिसर्च), कृषि [ मौसम पूर्वानुमान, मिट्टी आकलन व सिंचाई सुधार, निगरानी ] हो या उद्योग (निर्माण से
इसी तरह कृत्रिम बुद्धिमता द्वारा मानव के सोचा- समान समझा तो जा सकता है परंतु उसमें नैतिकता का समावेश नहीं हो पाता अतः मनुष्य में व्यापत पूर्वाग्रहों को AI द्वारा भी हुबहु प्रतिकृत (कॉपी) किया जाता है यथा विभिन्न एम्म द्वारा नस्लीय भेदभाव | इसी तरह AI द्वारा हथियार बनाने व उसके दुरुपयोग की संभावना भी व्याप्त रहती है। स्टीफन हॉकिंग के शब्दों में
” कृत्रिम बुद्धिमता की तकनीकी मानव विनाश की कथा भी लिख सकती है”।
अतः कृत्रिम बुद्धिमता के प्रयोग को नियमों, निर्देशों के तहत नियंत्रित किया जाना चाहिए ताकि इसके दुरुपयोग की संभावना कम से कम हो। साथ ही संभावित खतरों हेतु उचित समाधान व विवेक प्रयोग कर निर्णय लिया जाना चाहिए। इस तरह इसमें निहीत चुनौतियाँ का समाधान कर लिया जाए तो यह भविष्य का द्वार साबित हो सकती है अन्यथा भविष्य का संकट । यथा-
” एक जैसी दिखती थी माचिस की तिलीयाँ द्य किसी ने दिए जलाए तो किसी ने घर ।”